Diksha Thakur

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लेखनी कविता -26-Jun-2022

कर्म 

किसी पर निर्भर मत हो हे मानव, 
अपना कर्म खुद कर हे मानव। 

भगवान ने तुझे सबसे उत्तम बनाया हे मानव, 
उस देन का शुक्रगुजार कर हे मानव। 

अपने जीवन का कुछ उद्देश्य बना हे मानव
और उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कर्म करते जा हे मानव। 

निरंतर कर्म करने से होगी तेरी तरक्की हे मानव, 
न कभी बेकार बैठना पड़गा , 
न खाने पड़ेगें धक्के हे मानव। 

अच्छे काम करेगा तो अच्छा फल पाएगा हे मानव, 
बुरे काम करेगा तो बुरा फल पाएगा हे मानव। 

कर्म ऐसा कर की पहचान बन जाए हे मानव, 
जीवन ऐसा जी कि मिसाल बन जाए हे मानव। 

दीक्षा ठाकुर ✍✍

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6 Comments

Swati chourasia

27-Jun-2022 07:36 AM

बहुत खूब 👌

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Renu

26-Jun-2022 11:15 PM

बहुत ख़ूब 👌

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Raziya bano

26-Jun-2022 08:45 PM

Bahut khub

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